वो एहसास भी मुरझा गए , तेरे दिए
फूलों की तरह …..
हम भी मोहब्बत के मारे हो गए
औरों की तरह …….
तू आया था अपनी मर्ज़ी से मर्ज़ी से चला गया
मेरे दर पर न लौटा तू
मौसमों की तरह …….
क्या छुपाऊं मैं पलकों के पर्दों से अब
छलक ही जाता है दर्द आँखों से
अश्कों की तरह ……
शक है हमें अब नाम -ए -वफ़ा पर
न जाने कब कौन बदल जाये तेरे
वादों की तरह ……
जी तो हम लेंगे ही तेरे बिना भी
चुभती रहेगी तेरी कमी हमेशा
काटों की तरह ………
खुदा तुझे खुशियां अदा करे
कभी ना टूटे तेरे कोई ख्वाब मेरे
अरमानो की तरह ……
बस अब यही दुआ करेंगे हम सदा
तुझसे खुशियां जुड़ी रहे ,मुझसे मेरे
ग़मों की तरह ……